Informative Animal Husbandry

लंपी वायरस से 2022-23 में इतना गिर गया दुग्ध उत्पादन! आंकड़े जानकर चौंक जाएंगे।

Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है।

भारत एक कृषि प्रधान देश होने के नाते दुग्ध उत्पादन के मामले में भी अग्रणी देश है। लेकिन हाल ही में एक आंकड़ा आया है, जिसके अनुसार लंपी रोग के कारण देश के मिल्क प्रोडक्शन पर बुरा असर पड़ा है। 2022-23 में उत्पादन दर में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिसने किसानों और दुग्ध उद्योग की चुनौती बढ़ा दी है।

लंपी वायरस क्या है? ये कैसे फैलता है?

लम्पी त्वचा रोग (Lumpy skin disease virus) एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों में लंबे समय तक रोग का कारण बनती है। ये रोग पॉक्स वायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस (Pox Lumpy skin disease virus) एलएसडीवी की वजह से होता है। ये पूरे शरीर में दो से पांच सेंटीमीटर की गांठों के रूप में फैलता है। विशेष रूप से सिर, गर्दन, थन (मवेशियों की स्तन ग्रंथि) और जननांगों के आसपास गांठे धीरे-धीरे बड़े और गहरे घावों की तरह खुल जाती हैं।

देश में लंपी वायरस पहली बार साल 2019 में आया था। यह एक प्रकार से त्वचा का रोग है, जिसमें त्वचा में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं। यह एक जानवर से दूसरे में फैलता है। पशु विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है।

लंपी वायरस से पशुओं को क्या नुकसान होता है।

लंपी रोग गायों और अन्य दुग्ध उत्पादक पशुओं में होने वाली एक खतरनाक बीमारी है। यह वायरस बीमार पशु के शरीर के अंदर घुसकर उसकी सेल्स को नष्ट करता है, जिससे उसका दिल, फेफड़े और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचता है। इसका सीधा असर उसकी उत्पादकता पर पड़ता है, जिससे दूध उत्पादन में गिरावट होती है।

2022-23 में हमारे देश में लंपी रोग के कारण दूध की उत्पादन दर में 2 फीसदी की गिरावट होने की खबर बहुत ही चिंता का कारण बन गई है। यह गिरावट न केवल किसानों को बल्कि दुग्ध उद्योग को भी प्रभावित कर रही है, क्योंकि उन्हें अपने उत्पादों की सप्लाई में कमी हो रही है।

लंपी वायरस फैलने का कारण 

देश में लंपी रोग के फैलने का मुख्य कारण यह है कि किसान अपने पशुओं को सही तरीके से पालने और उनकी देखभाल का उचित ध्यान नहीं दे रहे हैं। अधिकांश दूध उत्पादक पशुओं को खुले में चरने दिया जा रहा है जिससे वे वायरस के संपर्क में आ सकते हैं।

लम्पी वाइरस के प्रमुख लक्षण 

  • आमतौर पर हल्के से लेकर गंभीर रूप तक होते हैं।
  • 41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तेज बुखार पहला लक्षण है।
  • पशु सुस्त, उदास हो जाता है एवं चारा खाने से इंकार कर देता है और कमजोर हो जाता है।
  • छाती क्षेत्र और कोहनी क्षेत्र के पास सूजन के परिणामस्वरूप लंगड़ापन होता है।
  • लवचा के नीचे आकार में 2.5 सेमी दृढ़ स्पष्ट गोल पिंड पूरे शरीर में विकसित होते हैं। (विशेष रूप से सिर, गर्दन, विभिन्‍न अंगों शरीर के उदर भागों और थन के आसपास)
  • 7 से 15 दिनों के भीतर नोड्यूल्स टूटने लगते हैं और खून बहने लगता है और इसके परिणामस्वरूप माइयासिस हो सकता है।
  • इस घाव से संक्रमित जानवरों में सांस लेने में कठिनाई देखी जाती है।
  • जब ये गांठें ठीक हो जाती हैं तो ये जानवरों के शरीर पर एक स्थायी निशानी छोड़ जाती हैं।

लंपी रोग की रोकथाम के उपाय

लंपी रोग के फैलने के कारण किसानों को अपने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए अधिक सतर्क रहना होगा। सावधानीपूर्वक उपयुक्त टीकाकरण और औचक रोग निगरानी उपायों का अनुसरण करना होगा ताकि यह बीमारी फैलने से रोका जा सके।

सरकार को इस समस्या का सीधा समाधान निकालने के लिए किसानों को सहायता प्रदान करने, उन्हें उपयुक्त ट्रेनिंग देने, और उन्हें लंपी रोग के खिलाफ जागरूक करने की जरूरत है। साथ ही, उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए उचित प्रोजेक्ट्स और योजनाएं शुरू करनी चाहिए ताकि लोग दुग्ध उत्पादन से जुड़े रहें और इसे सुरक्षित बनाए रखें।

लंपी वायरस से ग्रस्त पशुओं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, उनके घाव को साफ करके नीम के पानी से नहलाएं। इसके अलावा संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें।

पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मंगाएं ग्रामिक शक्तिसागर मिनरल मिक्सचर 

पशुओं में संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आप अपने पशुओं को ग्रामिक का शक्तिसागर मिनरल मिक्सचर खिला सकते हैं। 

आपके पशु के लिए कौन सा सप्लीमेंट उपयोगी हो सकता है, इसके बारे में हमारे cattle feed expert से सलाह लेने के लिए 9513384750 पर कॉल करें।

इसके अलावा आप 7388821222 पर कॉल करके ग्रामिक पशु आहार घर बैठे मंगा सकते हैं। आप ग्रामिक का Mobile App डाउनलोड करके भी अपना ऑर्डर प्लेस कर सकते हैं। साथ ही आप हमारी वेबसाइट shop.gramik.in पर जाकर भी अपने पशुओं के लिए ज़रूरी पशु आहार ऑर्डर कर सकते हैं।

भारत में दुग्ध उत्पादन से जुड़े आंकड़े

हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार देश में दूध उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर वर्ष 2021-22 के दौरान 5.77 फीसदी थी, जो वर्ष 2022-23 में घटकर 3.83 फीसदी पर पहुंच गई है। 2022-23 में दूध का उत्पादन 23.06 करोड़ टन रहा। 2021-22 में यह 22.21 करोड़ टन और 2020-21 में 21 करोड़ टन रहा था। 

वृद्धि दर में कमी के बावजूद भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी नए आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया में दूध के सबसे बड़े उत्पादक की स्थिति बरकरार रखे हुए है।

रिपोर्ट के अनुसार मई 2022 से मार्च 2023 तक लंपी रोग की वजह से 1.86 लाख से ज्यादा पशुओं की मौत हुई और 32.80 लाख से अधिक पशु रोग से ग्रस्त हुए। 

बता दें कि लंपी रोग से पीड़ित पशु के शरीब में गांठ बन जाती है, जिससे पशु को बुखार आने लगता है। यह रोग इतना खतरना है कि पशु की मौत भी हो सकती है। लंपी रोग की चपेट में आने से दुधारु पशुओं की दूध मात्रा पर बुरा असर पड़ा, जिसके चलते देश का कुल दूध उत्पादन भी घट गया है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना क्या है?

पशुपालन और डेयरी विभाग के द्वारा स्वदेशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण, गोवंश के आनुवंशिक उन्नयन तथा दूध उत्पादन एवं गोवंश की उत्पादकता में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन चलाया जा रहा है। यह दूध उत्पादक किसानों के लिए बहुत लाभकारी है। यह योजना विभाग की संशोधित पुनर्गठित योजनाओं के तहत 2021-2022 से 2025-2026 तक के लिए जारी की गई है।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के मुख्य उद्देश्य हैं-

  • उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके गोवंश की उत्पादकता और दूध उत्पादन को स्थायी तरीके से बढ़ाना।
  • प्रजनन नेटवर्क को मजबूत करने और किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान संबंधी सेवाओं की आपूर्ति के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान के कवरेज को बढ़ाना।
  • वैज्ञानिक एवं समग्र तरीके से स्वदेशी गाय और भैंस के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत वैज्ञानिक और समग्र तरीके से गोवंश के स्वदेशी नस्लों के संरक्षण एवं विकास के उद्देश्य से एकीकृत स्वदेशी मवेशी विकास केंद्रों के रूप में 16 गोकुल ग्रामों की स्थापना के लिए धनराशि जारी की गई है।

गोकुल ग्राम के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • वैज्ञानिक तरीके से स्वदेशी मवेशियों के पालन और संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • स्वदेशी नस्लों की उत्पादकता और पशु उत्पादों से होने वाले आर्थिक लाभों को स्थायी तरीके से बढ़ाना।
  • स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों का प्रचार करना।
  • पशु शक्ति के उपयोग के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना।
  • संतुलित पोषण और एकीकृत पशु स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना।
  • आधुनिक फार्म प्रबंधन से संबंधित कार्यप्रणालियों को अनुकूलित करना और साझा संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना।
  • हरित ऊर्जा और इको प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।

तो दोस्तों, लंपी रोग के खिलाफ संघर्ष केवल किसानों का ही नहीं, बल्कि पूरे दुग्ध उद्योग का मामला है। हमें सामूहिक रूप से मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करना चाहिए ताकि हमारे देश की मिल्क प्रोडक्शन दोबारा स्थायी रूप से बढ़ सके।

FAQs

  • लंपी वायरस के लक्षण क्या हैं?

    पशुओं में नेक्रोटिक घाव, जठरांत्र का होना, गर्भपात या दूध कम होना लम्पी बीमारी के लक्षण हैं। पशु चिकित्सकों के मुताबिक गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत इसका इलाज कराना चाहिए।

  • लम्पी वायरस कितने दिन तक रहता है?

    लंपी वायरस के संक्रमण से ठीक होने में मवेशी को दो से तीन हफ्ते लग जाते हैं। संक्रमित होने के बाद 5 से 7 दिन तक एंटी-बायोटिक देकर इलाज किया जाता है। आयुर्वेदिक और होमियोपैथी इलाज ज्यादा कारगर है। इसके अलावा इसकी वैक्सीन भी लगाई जाती है।

  • लंबी वायरस की रोकथाम के लिए क्या करें?

    पशुओं की रहने की जगहों को साफ-सुथरा रखें, ताकि मक्खी और मच्छरों का विकास रुक सके। नीम और फिटकरी: रात्रि में पशुओं के पास नीम की पत्तियों को जलाकर धुआं करें और उन्हें फिटकरी के पानी से नहलाएं। पशु चारा और पानी: पशुओं को साफ और स्वच्छ पानी और चारा ही खिलाएं, ताकि वे स्वस्थ रह सकें।

  • क्या लंपी वायरस इंसानों में फैलता है?

    अगर आपके मन में भी इस तरह के सवाल आते हैं तो हम आपको बता दें कि अभी तक लंपी वायरस के इंसानों में फैलने के मामले नहीं देखे गए हैं।

  • लंपी वायरस से पीड़ित पशुओं को कैसे बचाएं?

    पशुओं की नियमित सफाई करें, उसके शरीर को साफ कपडे से पोंछें। घाव को साफ रखें, कीटनाशक का प्रयोग करें, मच्छर मक्खी को पशुओं से दूर रखने के लिए गंदगी नहीं होने दें, गंदगी से मच्छर आते हैं, मोस्कीटों कोयल का संसाधन का उपयोग करें।

https://shop.gramik.in/

Post Views: 7

Share Your Post on Below Plateforms

About the author

Gramik

Leave a Comment

WhatsApp Icon