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जैविक कृषि के प्रति आकर्षण केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ी है। कुछ किसान तो ऐसे भी हैं जो खुद तो जड़ी बूटी की खेती कर ही रहे हैं, साथ ही अन्य किसानों को भी इससे जोड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, इन औषधीय पौधों की खेती से न सिर्फ़ आज करोड़ों की आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि देश दुनिया में इनके इस प्रयास को सराहा भी गया है।
तो इन किसानों से प्रेरणा लेकर यदि आप भी पारंपरिक फसलों के साथ-साथ जड़ी- बूटी की भी खेती करना चाहते हैं, तो इन्हें बड़े पैमाने पर उगाने के साथ-साथ आप घर पर गमलों में भी उगा सकते हैं। आप होम गार्डन, टेरेस गार्डन, किचन गार्डन या खिड़की पर कहीं भी छोटे गमले या ग्रो बैग में सभी प्रकार की जड़ी बूटियों को बहुत आसानी से उगा सकते हैं।
जड़ी-बूटियों की 3 प्रमुख श्रेणी
जड़ी बूटियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है- वार्षिक, द्विवार्षिक और बारहमासी। इसलिए चलिए आपको बताते हैं कि कौन सा पौधा किस श्रेणी में आता है।
वार्षिक जड़ी-बूटी की खेती
वे जड़ी बूटियां, जो वर्ष में एक बार उगती, खिलती हैं, बीज देती हैं, और समाप्त हो जाती हैं, वार्षिक जड़ी-बूटी कहलाती हैं। वार्षिक जड़ी बूटियों के उदाहरण की बात करें तो तुलसी, सीलेंट्रो, लेमनग्रास,
स्टीविया, कैलेंडुला, डिल, सौंफ, एपाजोट आदि हैं।
द्विवार्षिक जड़ी-बूटी की खेती
जड़ी-बूटियों का जीवन चक्र लगभग दो वर्षों का होता है, द्विवार्षिक जड़ी बूटी कहलाती हैं। ये एक वर्ष में अंकुरित होती हैं और विकसित होती हैं, और दूसरे वर्ष में फूल खिलते हैं, फिर ये नष्ट हो जाता है। द्विवार्षिक जड़ी बूटी के उदाहरण हैं: अजमोद, चाइव्स।
बहुवर्षीय बारहमासी जड़ी-बूटी की खेती
बहुवर्षीय बारहमासी पौधे कई वर्षों तक जीवित रहते हैं। स्थानीय जलवायु के आधार पर ठंड के मौसम में इनके पत्ते गिर जाते हैं, हालांकि ये कुछ समय में फिर से हरे भरे हो जाते हैं। बारहमासी जड़ी-बूटी के उदाहरण हैं: थाइम, पुदीना, अजवायन, तारगोन, नींबू बाम, मार्जोरम, लैवेंडर, रोजमेरी, इलायची आदि।
ग्रामिक से खरीदें जड़ी-बूटी बीज
तो यदि आप भी इस तरह की खेती करना चाहते हैं, तो ग्रामिक पर कई तरह के जड़ी-बूटी बीज (herbs Seeds) उपलब्ध हैं, आप घर बैठे बहुत ही किफायती मूल्य पर उन्हें मंगा सकते हैं।
यहां ले जड़ी-बूटी की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी
इसके अलावा पुदीना की खेती, लैवेंडर की खेती, इलायची की खेती, सौंफ की खेती, लेमन ग्रास की खेती, शतावरी की खेती और तुलसी की खेती के बारे में विस्तार से जानने के जानने के लिए ग्रामिक के ये ब्लॉग्स ज़रूर पढ़ें।
FAQ
अश्वगंधा को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का राजा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अश्वगंधा को लगभग 3,000 से अधिक वर्षों से कई तरह के शरीरिक और मानसिक बीमारियों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
यारसा गुम्बा जड़ी-बूटी चिकित्सा में प्रयोग होने वाली दुनिया की सबसे महंगी दवा मानी जाती है। यह एक तरह का फंगसहोता है, जो कैटरपिलर पर उगता है। यारसा गुम्बा इतना कीमती होता है कि स्थानीय लोग इसे हिमालय का सोना भी कहते हैं।
बरबेरी, मुलेठी, बेल, इसबगुल, अतीस, पिप्पली, ब्राह्मी और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधे भारत से निर्यात किए जाते हैं।
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