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आजकल पड़ रही भीषण गर्मी और लू केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। ऐसे में गर्मी के महीनों में पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या आम हो जाती है, जो कि एक जानलेवा स्थिति हो सकती है। हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की तापमान नियंत्रण प्रणाली विफल हो जाती है और शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे जानवर की स्थिति गंभीर हो सकती है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि हीट स्ट्रोक क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है।
हीट स्ट्रोक कब होता है?
हीट स्ट्रोक की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब जानवर अत्यधिक गर्मी में लंबे समय तक रहते हैं और उनके शरीर का तापमान 104°F (40°C) से अधिक हो जाता है। हीट स्ट्रोक के लक्षणों में अत्यधिक पसीना आना, जल्दी-जल्दी सांस लेना, जीभ बाहर निकालना और लार टपकाना, कमजोरी और थकान, चक्कर आना या बेहोशी, और त्वचा का लाल या सूजा हुआ होना शामिल हैं। इन लक्षणों को पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि समय पर उचित निदान किया जा सके।
हीट स्ट्रोक के प्रमुख कारण
हीट स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में अत्यधिक गर्मी में लंबे समय तक रहना, छायादार स्थान की कमी, पानी की कमी, शारीरिक गतिविधियों का अधिक होना, और अत्यधिक मोटापा या मोटी फर वाले जानवर शामिल हैं। इन कारणों से पशुओं का शरीर अधिक गर्म हो जाता है और वे हीट स्ट्रोक की चपेट में आ जाते हैं।
हीट स्ट्रोक से बचाव
हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, पशुओं को छायादार स्थान में रखना चाहिए जहां सीधी धूप न पड़े। छायादार स्थान उनकी शारीरिक तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करता है। इसके अलावा, पशुओं के लिए ताजे और ठंडे पानी की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
पानी की कमी से उनका शरीर जल्दी हीट स्ट्रोक की चपेट में आ सकता है। पशुओं को ऐसे स्थान पर रखें जहां हवा का प्रवाह अच्छा हो, ताकि उनके शरीर का तापमान नियंत्रित रहे। हल्का और आसानी से पचने वाला भोजन देना चाहिए, ताकि उनके शरीर में अतिरिक्त गर्मी न बने।
गर्मियों में पशुओं की शारीरिक गतिविधियों को सीमित करना भी आवश्यक है, ताकि वे अधिक गर्मी के संपर्क में न आएं। इसके साथ ही यदि पशु शाला टिन शेड की है तो उसकी ऊंचाई 12 फीट होनी चाहिए, साथ ही उसपर जूट के भीगे हुए परदे डालें। इससे भी पशु शाला में ठंडक बनी रहेगी।
वहीं जमीन को ठंडी रखने के लिए पशुपालक साथी रबर के गद्दे बिछा सकते हैं, साथ ही वॉटर स्प्रिंकलर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
हीट स्ट्रोक होने पर पशु का प्राथमिक उपचार
अगर किसी जानवर को हीट स्ट्रोक हो जाए तो प्राथमिक उपचार के रूप में उसे तुरंत ठंडे और हवादार स्थान पर ले जाएं। पशु को ठंडे पानी से नहलाएं या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें। यह उनके शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है।
पशु को ठंडा और ताज़ा पानी पिलाएं ताकि उनका शरीर हाइड्रेट रहे। साथ ही ऐसी स्थिति में आप पशु को छाछ में इलेक्ट्रॉल मिला कर भी पिला सकते हैं। इसके अलावा, तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार उपचार करें। पशुओं की देखभाल में थोड़ी सी सतर्कता से ही हम उन्हें हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याओं से बचा सकते हैं।
ऐसे बढ़ाएँ पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता
पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहे और वे बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो सकें इसका ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। इसके लिए पशुओं को हरा चारा, सूखा चारा, अनाज के साथ साथ आवश्यक विटामिन और खनिज की आपूर्ति होना भी बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आप अपने पशुओं को ग्रामिक के पशु आहार, दूध सागर, शक्ति सागर व कैल्सियम का सेवन करा सकते हैं।
ग्रामिक के पशु आहार की विशेषता के बारे में जानने के लिए ये ब्लॉग्स पढ़ें!
FAQ
दूध, अंडे, मांस, ऊन, और चमड़ा जैसे उत्पाद मिलते हैं, किसानों की आय में वृद्धि होती है, जैविक खाद का उत्पादन होता है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी, सूअर आदि पशु पालन के लिए उपयुक्त होते हैं। क्षेत्र, जलवायु, और बाजार की मांग के आधार पर जानवरों का चयन किया जा सकता है।
पशुपालन में पशुओं का टीकाकरण, नियमित जांच और पौष्टिक और संतुलित आहार, पशुओं के रहने की जगह की साफ-सफाई आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, पशु पालन विभाग, और विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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