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सितंबर में धान की फसल की देखभाल: उत्पादन बढ़ाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान!

सितंबर में धान की फसल की देखभाल
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

सितंबर का महीना आते ही धान की फसलों में बालियां निकलने लगती हैं, जिससे किसानों के चेहरों पर एक नई उम्मीद की किरण दिखाई देती है। लेकिन, इसी समय किसानों को धान की फसल की सिंचाई और पोषण का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। 

सितंबर में धान की फसल की देखभाल

अगर इस दौरान छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो फसल पर इसका गहरा असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि सितंबर में धान की फसल की सिंचाई कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें ताकि फसल अच्छी हो और उत्पादन में कोई कमी न आए।

धान में बाली आने के समय सिंचाई

धान की फसल जब 60 से 65 दिनों की हो जाती है, तो उसमें बाली निकलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस समय फसल में नमी की जरूरत अधिक होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि खेत में अधिक पानी भर दिया जाए। 

धान में बाली आने के समय सिंचाई

अत्यधिक पानी भरने से फसल को नुकसान पहुंच सकता है। पौधे गिर सकते हैं और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, किसानों को सिंचाई विधिवत तरीके से करनी चाहिए ताकि फसल को उचित मात्रा में नमी मिल सके और फसल सुरक्षित रहे।

सुझाव: खेत में नमी बनाए रखने के लिए शाम के समय हल्की सिंचाई करें और सुबह के समय अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दें।

तेज हवा से बचाव

धान की फसल के लिए तेज हवा नुकसानदायक साबित हो सकती है। खेत में अधिक पानी भरने से मिट्टी नरम हो जाती है, जिससे तेज हवा चलने पर पौधे गिर सकते हैं। पौधों के गिरने से फूल झड़ जाते हैं और दानों में दाग लग जाते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

इसलिए, किसानों को खेत में ज्यादा पानी भरने से बचना चाहिए और मौसम के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।

सुझाव: धान की फसल को तेज हवा से बचाने के लिए खेत के किनारों पर बाड़ लगाएं, जिससे फसल पर हवा का प्रभाव कम हो सके।

यूरिया का संतुलित प्रयोग करें

सितंबर के महीने में कुछ क्षेत्रों में बारिश कम होती है, जिसके कारण मिट्टी की नमी कम हो जाती है। इस दौरान अगर किसान अधिक यूरिया का इस्तेमाल करते हैं तो इससे भूरा फुदका रोग का खतरा बढ़ सकता है।

भूरा फुदका धान की फसल का रस चूसता है, जिससे पौधे सूख जाते हैं और फसल बर्बाद हो जाती है। इसलिए, यूरिया का संतुलित प्रयोग करें और भूरा फुदका की निगरानी रखें। भूरा फुदका के नियंत्रण के लिए Buprofezin 25% Sc @ 300 ML /एकड़ 150-200 लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करें।

यूरिया का संतुलित प्रयोग करें

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सुझाव: भूरा फुदका के प्रकोप को कम करने के लिए सिंचाई के समय पौधों पर पानी का छिड़काव करें और खेत की नियमित निगरानी करें।

नियंत्रण : भूरा फुदका के नियंत्रण के लिए  Buprofezin 25% Sc @ 300 ML /एकड़ 150-200 लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करे 

सिंचाई के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

  • धान की फसल में बाली निकलते समय हल्की सिंचाई करें, ताकि खेत में नमी बनी रहे।
  • शाम के समय सिंचाई करना अधिक फायदेमंद होता है, जिससे दिन की गर्मी के कारण नमी जल्दी समाप्त नहीं होती।
  • यदि बारिश नहीं हो रही है तो खेत की मिट्टी सूखने से पहले ही सिंचाई कर दें।
  • सिंचाई के दौरान ध्यान रखें कि खेत में हल्की नमी बनी रहे, परंतु जलभराव न हो।

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