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हल्दी-धनिया की तरह लौंग की खेती भी किसानों के लिए मुनाफे वाली साबित हो सकती है, क्योंकि ये भी किचन का एक ज़रूरी मसाला है। लौंग एक ऐसा औषधीय मसाला है, जिसे यदि खाली पेट खाया जाए तो पाचन तंत्र अच्छा रहता है, साथ ही इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। खास बात ये है कि लौंग में विटामिन सी और फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इन्हीं फायदों को देखते हुए बाज़ार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
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आइए ग्रामिक के इस ब्लॉग में जानते हैं कि लौंग की खेती कैसे करें और इससे क्या लाभ मिल सकते हैं-
लौंग की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
लौंग की खेती के लिए गर्म जलवायु अच्छी मानी जाती है, इसलिए गर्म प्रदेशों में इसकी खेती करना ज्यादा उपयुक्त होता है। लौंग के पौधों के विकास के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा का तापमान होना चाहिए। वहीं उसके पेड़ के अच्छे विकास के लिए 30 से 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है। ठंडे क्षेत्रों में किसान साथी लौंग की खेती न करें, वरना पौधों की उचित वृद्धि नहीं होगी, और किसानों को बड़ा नुकसान होने की संभावना होगी। आपको बता दें कि इसकी खेती करने के लिए मॉनसून सही समय है।
लौंग की बुवाई करने की विधि
लौंग की बुवाई करने के लिए बीज के रूप में उसके पके हुए फल की आवश्यकता होती है, और जिस दिन इसकी बुवाई करनी है उससे एक दिन पहले इसे पानी में भिगोकर रखा जाता है। लौंग को भिगोने के बाद किसान साथी इसके ऊपर के छिलके को हटा दें। इस तरह लौंग का बीज बुवाई की प्रक्रिया के लिए तैयार हो जाता है।
इसकी बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें। इसके अलावा लौंग पौधे के उचित विकास के लिए जैविक खाद का प्रयोग करते रहें। इस तरह उचित देखभाल करने पर ये पौधा 4-5 सालों में तैयार होकर फल देने लगता है। आपको बता दें कि यदि किसान साथी लौंग के पेड़ का अच्छी तरह से ख्याल रखें, तो इससे लंबे समय तक उपज और मुनाफा दोनों ले सकते हैं।
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लौंग की खेती से आमदनी
किसान साथियों को बता दें कि लौंग के फल पेड़ पर गुच्छों में लगते हैं। इनका रंग लाल गुलाबी होता है, और इन्हें फूल के रूप में खिलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है। पौधे बड़े होने पर प्रति पौधा 2 से 3 किलोग्राम तक की उपज मिल सकती है। वहीं बाजार में एक किलो लौंग का औसत भाव 800 से 1000 रुपये तक रहता है। और ये समय के साथ बढ़ता रहता है। ऐसे में लौंग की खेती करने वाले किसानों को इससे अच्छी आमदनी होने की संभावना रहती है।
कैसे होता है लौंग का इस्तेमाल
भारत में लौंग का धार्मिक महत्व भी है। इसे हवन-पूजा के दौरान बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है, वहीं आपको बता दें कि बाजार में लौंग के तेल से लेकर टूथपेस्ट, दांत के दर्द की दवा, पेट और मुंह के रोग आदि के लिए भी दवाएं बनाई जाती हैं। इसका प्रयोग दवा बनाने के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी किया जाता है। आपको बता दें कि देश के कई गर्म जलवायु वाले राज्यों में लौंग की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
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क्या है लौंग खाने के फायदे
आयुर्वेद में लौंग का सेवन करने के कई फायदे बताए गए हैं। लौंग खाने से भूख बढ़ती है, उल्टी रूकती है, गैस, खांसी, अधिक प्यास लगना और कफ-पित्त आदि में भी आराम मिलता है। इसके साथ ही खून में गड़बड़ी, सांसों की बीमारी और टीबी रोग में भी लौंग का सेवन फायदेमंद माना गया है।
FAQs
लौंग की खेती गर्म प्रदेशों में ही करना ज्यादा उपयुक्त है। भातर में लौंग की सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में होती है।
लौंग के पौधों को फल देने के लिए तैयार होने में 4-5 साल का समय लगता है।
बाजार में एक किलोग्राम लौंग की कीमत 800 से 1000 रुपये किलो तक हो सकती है।
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