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किसी भी फसल (crop) के सही विकास के लिए कई सारे पोषक तत्वों (nutrients) की आवश्यकता होती है। अगर पौधे में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, तो फसल में तरह तरह की समस्याएं होने लगती हैं, जिसका असर सीधे उसकी उपज (yield) पर पड़ता है।
पौधों में तांबे की कमी (Copper Deficiency in Plants) या अधिकता होने पर इसकी वृद्धि (plant growth) रुक जाती है। पौधे में इस पोषक तत्व की कमी से बीज अंकुरण पर प्रभाव पड़ता है, साथ ही पौधे की जड़ें, तना, पत्तियां और फूल आदि का भी उचित विकास नहीं हो पाता है।
ऐसे में आज हम जानेंगे कि पौधों में तांबे की कमी (Copper Deficiency in Plants) के लक्षण एवं उपचार।
पौधों में तांबे की कमी के लक्षण (symptoms of copper deficiency in plants)
जिन पौधों में तांबे की कमी होती है, वो पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं, और उनकी पत्तियों का रंग भी पीला पड़ने लगता है। इसके अलावा पौधे के तने भी काफ़ी कमजोर होने लगते हैं।
वहीं अगर तांबे की मात्रा अधिक हो जाती है तो भी पौधे का संतुलन ख़राब हो जाता है। पौधों में तांबे की मात्रा ज़्यादा होने के चलते इनमें आयरन की भी कमी होने लगती है, और विकास की गति धीमी हो जाती है। साथ ही पौधों की जड़ें भी कमजोर हो जाती हैं।
पौधों में सूक्ष्म और स्थूल पोषक तत्व (micro and macro nutrients)
पौधों के सामान्य रूप से विकसित होने के लिये सभी पोषक तत्वों की ज़रूरत एक क्षमता के अनुसार होती है, जिनमें से कुछ तत्व पौधों के लिये बड़ी मात्रा में आवश्यक होते है, जिन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (macronutrients in plants ) कहा जाता है, और कुछ पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है, उन्हें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (micro nutrients in plants) के रूप में जाना जाता है।
इन 3 तरीकों से दूर करें पौधों में तांबे की कमी (control copper deficiency in plants with these 3 methods)
- पौधों में तांबे की मात्रा बढ़ाने का एक तरीका EDTA (एथिलीनडायमिनेटेट्राएसिटिक एसिड) का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही आयरन, जिंक ऑक्साइड भी डालना चाहिए।
- तांबे की कमी को पूरा करने के लिए जमीन में खुबानी के बीज को मिलाना चाहिए, क्योंकि वे इस पोषक तत्व की उपलब्धता को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- आप कॉपर सल्फेट या क्यूप्रिक ऑक्साइड पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं।
इसी तरह जिंक, फॉस्फोरस, नाइट्रोजन आदि पोषक तत्व भी फसल के लिये बहुत आवश्यक होते हैं, तो आने वाले सीजन में अपनी गेहूं, मटर आदि की फसल में इन पोषक तत्वों की कमी या अधिकता का ध्यान रखें, और ज़रूरत पड़ने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।
जो किसान भाई जीरा की खेती करना चाहते हैं, तो पढ़ें हमारा पिछला ब्लॉग।
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