प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!
मालाबार नीम की खेती से हमारे किसान साथियों के लिए काफी मुनाफे वाली हो सकती है। इस पौधे की खासियत ये है कि इसकी खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है। इसमें खाद और पानी की ज़रूरत बहुत कम होती है, साथ ही मालाबार नीम के पौधे को अन्य पेड़ पौधे की तरह देखभाल की भी जरूरत नहीं होती। मालाबार की लकड़ी शागौन से भी ज्यादा महंगी बिकती है।
मालाबार नीम की लकड़ी का इस्तेमाल
मालाबार नीम लकड़ी का उपयोग बहुत से कृषि उपकरण, छत और घरों को बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मालाबार नीम की लकड़ी का उपयोग पेंसिल, माचिस, वाद्य यंत्र, चाय की पेटियां, फर्नीचर, टेबल, कुर्सी, अलमारी, सोफा, पलंग आदि बनाने में किया जाता है। इस नीम की लकड़ी की खासियत ये है कि इसमें दीमक नहीं लगता और यह ज्यादा समय तक टिकाऊ बना रहता है।
मालाबार नीम को पूरी तरह तैयार होने में कम से कम 8 से 10 साल का समय लगता है। हालांकि जब ये नीम 3 साल की होती है, तब इसकी लकड़ी का इस्तेमाल कागज और माचिस की तिलियां बनाने में, 5 साल बाद प्लाईवुड और 8 साल बाद इसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है। मालाबार नीम के खेत में आप हल्दी बैगन व अन्य फसलों के साथ इंटरक्रॉपिंग भी कर सकते हैं, जिससे आपको मुनाफा ज़्यादा होगा।
मालाबार नीम की खेती के लिए भूमि तथा जलवायु
मालाबार नीम के पौधों के लिए किसी खास मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती है, हालांकि गहरी उपजाऊ रेतीली दोमट मिट्टी व उथली दोमट मिट्टी में इसका विकास अच्छा होता है। मालाबार नीम की खेती के लिए भारत में हिमालय के कुछ क्षेत्रों और राजस्थान के रेगिस्तानों के अलावा हर राज्य में की जा सकती है। मालाबार नीम के पौधों की रोपाई 10 से 12 फिट की दूरी पर लगाएं, इससे पौधों का विकास अच्छा होता है।
मालाबार नीम की सिंचाई
आपको बता दें कि मालाबार की खेती के शुरुवाती दिनों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था होना ज़रूरी है। हालांकि बाद में इस नीम के पौधों को पानी की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है, इसलिए आवश्यकता पड़ने पर ही इसकी सिंचाई करें। गर्मियों के मौसम में इसकी सिंचाई 15 से 20 दिन में एक बार करें, पौधों की वृद्धि अधिक होगी|
मालाबार नीम की खेती से मुनाफा
मालाबार नीम का एक पौधा लगभग 25 रुपए का पड़ता है, जो किसी भी नर्सरी से खरीदा जा सकता है, और प्रति एकड़ में लगभग 400 से 500 पौधे लगाए जा सकते हैं।
मालाबार नीम की खेती से 8 से 10 साल बाद आप प्रति पौधे से 3 टन लकड़ी तक प्राप्त कर सकते हैं। इस समय बाज़ार में एक टन लकड़ी का मूल्य लगभग 3000 है। इस आंकड़े से एक पौधा कम से कम 9000 रुपए तक का पड़ेगा। इस तरह एक एकड़ में लगभग 400 पौधे आएंगे, जिससे 36 लाख तक का मुनाफा हो सकता है, जो कि समय के साथ बढ़ भी सकता है।
मालाबार नीम की खेती में सब्सिडी
मालाबार नीम की खेती में छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार किसानों को सब्सिडी भी दे रही है। ये सब्सिडी 1000 पौधों पर दी जाएगी, जिसमें आपको पहले साल 11500 रूपये का अनुदान मिलेगा, दूसरे साल में 7000 रूपये, और तीसरे साल में 7000 की सब्सिडी मिलेगी।
मालाबार नीम सब्सिडी आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
सब्सिडी के लिए आपके पास कुछ ज़रूरी दस्तावेज होने चाहिए, वो हैं:
- आधार कार्ड
- स्थाई निवास प्रमाण पत्र
- आय प्रमाण पत्र
- सक्रिय खाता बैंक पासबुक
- खसरा व खतौनी की फोटोकॉपी
- आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर
मालाबार नीम सब्सिडी की आवेदन प्रक्रिया
मालाबार नीम की खेती के लिए सब्सिडी की प्रक्रिया ऑफलाइन ही होगी। आवेदन करने के लिए किसान साथी अपने नजदीकी वन विभाग कार्यालय में जाएं। यहां आपसे एक फॉर्म भरवाया जायेगा। इस भरे गए फॉर्म को सभी दस्तावेजों के साथ कार्यालय में जमा कर दें। इसके बाद वन विभाग के अधिकारी आपके द्वारा दी गई जानकारी को सत्यापित करके सब्सिडी के लिए मंजूरी दे देंगे।
FAQ
मालाबार नीम की बीज से पौधा तैयार होने में लगभग 30 से 45 दिनों का समय लगता है।
मालाबार नीम के बीज को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है, फिर खेत में गढ्ढे बनाकर इसकी खेती होती है।
मालाबार नीम का पौधा आप राजकीय नर्सरी और कृषि विज्ञान केंद्रों से ले सकते हैं। हालांकि आजकल इसके बीज ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
बागवानी और खेती से संबंधित और भी ब्लॉग पढ़ने के लिए किसान साथी ग्रामिक के website लिंक पर क्लिक करें –
अमरूद की बागवानी
नींबू की बागवानी
आंवले की बागवानी
Post Views: 250
Leave a Comment