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आधुनिक कृषि एक नए युग की शुरुआत है, जो किसानों को नई तकनीकों और विज्ञान के साथ जोड़कर खेती के क्षेत्र में नए आयामों की ओर बढ़ने का माध्यम प्रदान कर रही है। इस आधुनिक कृषि के चलते किसान साथी न केवल अपने खेतों को उपजाऊ बना रहा है, बल्कि अपना आर्थिक विकास भी कर रहे हैं।
हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और वर्टिकल फार्मिंग जैसी तकनीकें कृषि की प्रमुख तकनीकों के रूप में उभरे हैं। चलिए इस ब्लॉग में खेती की आधुनिक तकनीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming)
हाइड्रोपोनिक्स, मिट्टी के बिना पौधे उगाने की एक विधि है। पोषक तत्वों से भरपूर जल समाधानों का उपयोग करके, यह तकनीक साल भर खेती, कुशल जल उपयोग यानि पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम जल उपयोग वाली और शहरी क्षेत्रों या सीमित कृषि योग्य भूमि वाले क्षेत्रों के लिए काफी कारगर साबित हुई है।
उदाहरण के तौर पर समझें, तो मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में, हाइड्रोपोनिक फार्मिंग ने छतों और खाली स्थानों को उत्पादक कृषि और किचन गार्डन में तब्दील कर दिया है।
एरोपोनिक खेती (Aeroponic Farming)
एरोपोनिक कृषि मिट्टी या पारंपरिक हाइड्रोपोनिक माध्यमों के बिना पौधों की खेती करके कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने वाली एक अभिनव विधि है। इस तकनीक में पौधों की जड़ों को हवा या धुंध वाले वातावरण में निलंबित करना और नियमित रूप से पोषक तत्वों से भरपूर पानी के घोल को सीधे जड़ों पर छिड़कना शामिल है।
भारत में, पारंपरिक खेती की तुलना में 95% कम पानी का उपयोग करके, संसाधनों, विशेष रूप से पानी के कुशल उपयोग के कारण एरोपोनिक कृषि एक आशाजनक विधि के रूप में उभरी है।
इस तकनीक से कई फायदे होते हैं, जिसमें तेज विकास दर, पैदावार में वृद्धि और बीमारियों के प्रति कम संवेदनशीलता शामिल है। इसके अलावा, एरोपोनिक्स भूमि की कमी वाले क्षेत्रों में फायदेमंद साबित होती है।
अनेक तरह के पौधों के प्रति इसकी अनुकूलन क्षमता और बिना पर्यावरण को कोई हानि पहुंचाए फसल उपजाने के कारण ये विधि कृषि क्षेत्र में काफ़ी लोकप्रिय हो रही है।
एक्वापोनिक खेती (Aquaponic Farming)
एक्वापोनिक्स जलीय कृषि को हाइड्रोपोनिक्स के साथ जोड़ता है, जिससे एक सहजीवी पारिस्थितिकी तंत्र बनता है जहां पौधे और मछली एक साथ रहते हैं। भारत में, इस पद्धति ने बड़ी भूमिका निभाई हैं। ये न केवल सब्जियां और मछली एक साथ पैदा करती है, बल्कि पौधों के लिए उर्वरक के रूप में मछली के कचरे का उपयोग करके अपशिष्ट को भी कम करती है। केरल के कोट्टायम जिले और महाराष्ट्र में कोल्हापुर के पास एक्वापोनिक्स के सफल एकीकरण जैसे उदाहरण हैं।
वर्टिकल खेती (Verticle Farming)
वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी कृषि की एक ऐसी विधि है, जिसमें घरों की दीवारों पर छोटे-छोटे गमलों के ज़रिए से खेती की जाती है। इजराइल देश के लोग बड़े पैमाने पर इस तकनीक का प्रयोग करते हैं। यहां के निवासी अपने घरों के दीवारों पर छोटे-छोटे गमले इस प्रकार से सेट करते हैं कि ये गमले नीचे न गिरें।
इन गमलों में पौधे या बीज लगाने के लिए गमले को दीवारों से नीचे उतार लिया जाता है और इसमें फसल लगाकर फिर से दीवारों पर सेट कर दिया जाता है। फसल सूखे नहीं, इसके लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था करके गमलों में समय समय पर पानी दिया जाता है।
सीमित संसाधन में साल भर उत्पादन
ये नवीन तरीके पानी, भूमि और पोषक तत्वों जैसे संसाधनों की लागत कम करते हैं, साथ ही इन विधियों के प्रयोग से उत्पादकता बढ़ती है और अपशिष्ट कम होता है। इसके अलावा प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों या ऑफ-सीजन के दौरान भी इन विधियों के माध्यम से फसल उत्पादन लिया जा सकता है।
FAQs
आधुनिक कृषि से फसल की पैदावार बढ़ती ही है, साथ ही फसल की गुणवत्ता में भी आधुनिक कृषि का बड़ा योगदान होता है।
अधिक जल आपूर्ति के कारण खेत के ऊपर की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है, जिसकी वजह से मिट्टी के पोषक तत्व कम होने लगते हैं और उर्वरता की कमी के कारण उत्पादकता भी कम हो जाती है।
आधुनिक कृषि पद्धतियाँ उत्पादन में बढ़ोतरी, फसलों की सुरक्षा, और उत्पादकता में सुधार कर सकती हैं। हालांकि, ये कृषि पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, जैसे कि मिट्टी की गुणवत्ता में कमी, जल प्रदूषण, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि आदि।
कृषि, बागवनी और पशुपालन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान साथी हमरी ब्लॉग website – https://blog.gramik.in/ पर visit करें।
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