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Sugarcane Farming: गन्ने की खेती के लिए संपूर्ण गाइड!

गन्ने की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

किसान साथियों, गन्ना एक ऐसी फसल है, जिस पर जलवायु परिवर्तन का कोई खास असर नहीं होता है, इस कारण ये खेती काफी सुरक्षित होती है। किसानों को कम लागत में अधिक उपज व आमदनी के लिये उन्नतशील किस्मों एवं वैज्ञानिक तरीकों से गन्ने की खेती करना आवश्यक है।

गन्ने की खेती

चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में हम आपको गन्ने की खेती के बारे में विस्तार से बताते हैं-

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु

गन्ना गर्म एवं नम जलवायु की फसल है। गन्ने के अच्छे जमाव के लिये 26-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान अच्छा माना जाता है। इसकी उचित बढ़वार के लिए 32 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्तम होता है। तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम और 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर फसल का उचित विकास नहीं हो पाता है।

गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट व काली भारी मिट्टी जिसमें अच्छा जलनिकास हो, ऐसी भूमि गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त होती है। गन्ने की फसल में अम्लीयता एवं क्षारीयता को सहने की क्षमता होती है अतः इसकी खेती 5 से 8.5 पी.एच.मान वाली भूमि में आसानी से की जा सकती है।

गन्ने की खेती के लिए खेत की तैयारी

गन्ना बहुवर्षीय फसल है। इसके लिए खेत की गहरी जुताई करने के बाद 2 बार कल्टीवेटर व जरूरत के हिसाब से रोटावेटर व पाटा चलाकर खेत तैयार करें। क्योंकि मिट्टी भुरभुरी होने से गन्ने की जड़ें गहराई तक जाएंगी और आवश्यक पोषक तत्व का अवशोषण कर सकेंगी।

गन्ने की खेती

गन्ने की खेती के लिए सही समय

गन्ने की खेती करने का सबसे सही समय अक्टूबर से नवम्बर माना जाता है। साथ ही बसंत कालीन गन्ना की खेती के लिए फरवरी से मार्च उचित समय है।

गन्ने की खेती के लिए बीज का चुनाव

बीज के रूप कम से कम 9 से 10 महीने के गन्ने का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि गन्ना बीज ठोस, रोग रहित व उन्नत किस्म का हो। इसके साथ ही गन्ने की ऑख पूरी तरह से विकसित व फूली हुई होनी चाहिए। 

Sugarcane Farming

जिस गन्ने की छोटी पोर हो फूल आ गये हो,ऑख अंकुरित हो या जड़ें निकली हों, ऐसा गन्ना बीज के लिए प्रयोग न करें। एक ज़रूरी का और ध्यान रखें कि बुवाई से पहले बीज को उपचारित कर लें।

गन्ने के बीजों की रोपाई का तरीका

भारत में गन्ने की बुवाई समतल और नाली विधि से की जाती है। समतल विधि में 90 सेमी. की दूरी पर 7 से 10 सेंमी. गहरे देशी हल से कूँड़ बनाएं, और कूँड़ों में गन्ने के 2- 3 आंख वाले छोटे -छोटे टुकड़े की बुवाई करें। टुकड़ो को डालने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें। 

Sugarcane Farming

नाली विधि में 90 सेमी की दूरी पर 45 सेमी चौड़ी, 15-20 सेंटीमीटर गहरी नाली बना लें। अब इस नाली में बीज को सिरे से सिरा मिलाकर बोएं। 

गन्ने की खेती की सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

गन्ने के बीजों की रोपाई नम भूमि में की जाती है। इसलिए शुरुवात में खेत की सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती है। ठंड के मौसम में 15 दिन के अंतराल और गर्मी में 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। 

गन्ने की बुवाई के 4 महीने तक खरपतवारों की रोकथाम करना ज़रूरी होता है। इसके लिए 3 से 4 बार निराई करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए अट्राजिन 160 ग्राम प्रति एकड़ 325 लीटर पानी में घोलकर बीज के अंकुरण से पहले छिड़काव करें। 

गन्ने की कटाई, पैदावार एवं लाभ

गन्ने की फसल को तैयार होने में 10 से 12 महीने का समय लगता है। गन्ने की कटाई करते समय इसे जमीन की सतह के करीब से काटें। आपको बता दें कि एक एकड़ खेत से लगभग 360 से 400 क्विंटल की पैदावार मिल सकती है। अच्छी किस्म के बीज का चुनाव करके और उचित देख-रेख करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। चीनी व गुड़ बनाने के लिए गन्ने की मांग खूब रहती है, इसलिए किसानों इस फसल का अच्छा दाम मिलता है, और लागत से कई गुना ज़्यादा कमाई होती है।

FAQs

गन्ने की बुवाई कौन से महीने में करनी चाहिए?

गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए सर्वोत्तम समय अक्टूबर-नवम्बर है। बसंत कालीन गन्ने की बुवाई फरवरी-मार्च में की जा सकती है।

1 एकड़ गन्ने की खेती से कितनी उपज मिल सकती है?

गन्ने की एक एकड़ खेती में औसत उत्पादन 350 क्विंटल तक हो सकता है। ये चुने गए बीज की किस्म व उचित देख-रेख पर निर्भर करता है।

गन्ने की फसल में कौन सी खाद डालें?

गन्ने की अच्छी उपज के लिए खेत में गोबर की खाद का प्रयोग करें। इसके साथ-साथ 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, एवं 40 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हेक्टर के अनुपात में प्रयोग कर सकते हैं।

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