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मसालों की बात हो तो हम मसालों के राजा ‘काली मिर्च’ को हम कैसे भूल सकते हैं। भारत में काली मिर्च की खेती कई राज्यों में होती है, लेकिन केरल में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। आपको बता दें कि देश की 90 प्रतिशत काली मिर्च यहीं उगाई जाती है। ये मसाला न सिर्फ़ खाने में ज़ायका बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी ये बेहद लाभकारी है।
चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में काली मिर्च की खेती के बारे में विस्तार से जानते हैं-
कहां उगाई जाती है काली मिर्च
काली मिर्च में पाइपराइन नामक रसायन होता है, जो इसके स्वाद को तीखा बनाता है। भारत काली मिर्च के उत्पादन में दुनिया भर में पहले नंबर पर है। वहीं भारत के अलावा इंडोनेशिया और श्रीलंका में भी काली मिर्च खेती की जाती है। आपको बता दें कि विदेशों में इसे ‘ब्लैक गोल्ड’ भी कहा जाता है।
दक्षिण भारत काली मिर्च की खेती प्रमुख रूप से की जाती है। इसमें केरल पहले नंबर पर है। इसके अलावा कोच्ची, मैसूर, महाराष्ट्र, मालाबार, और असम के पहाड़ी इलाकों में भी काली मिर्च बड़े पैमाने पर उगाई जाती है। वहीं अब इसकी खेती की शुरुवात छत्तीसगढ़ में भी हो गई है।
काली मिर्च की खेती के लिए उचित जलवायु व मिट्टी
काली मिर्च की खेती के लिए लाल लेटेराइट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए और जलवायु हल्की ठंडी चाहिए। आपको बता दें कि काली मिर्च की खेती के लिए 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तापमान बेहतर होता है। काली मिर्च के पौधों को छाया की जरूरत होती है, इसलिए इनकी खेती ऐसी जगह करें, जहां उनपर सीधी धूप न पड़े।
काली मिर्च की खेती जैविक रूप से भी की जा सकती है। इस तरह से भी किसान साथी अच्छी उपज ले सकते हैं। काली मिर्च की खेती कलम विधि से की जाती है। बता दें कि काली मिर्च के कलम किए हुए पौधे को खेत में कतार बनाकर उचित दूरी पर लगाएं। बांस या छोटे मचान बनाकर काली मिर्च की बेलों को उसपर चढ़ा दें, इससे पौधा अच्छी तरह विकसित होगा। आपको बता दें कि काली मिर्च का एक पौधा कम से कम 25 साल तक फल दे सकता है।
काली मिर्च की तुड़ाई एवं पैदावार
पौधे पर फूल आने के बाद काली मिर्च को फलने व तुड़ाई के लिए तैयार होने में 6 से 8 महीनों का समय लगता है। काली मिर्च की उपज लेने के लिए जब इसके फलों का रंग हरे से बदलकर चमकीला नारंगी हो जाता है, तो समझें कि अब फल अच्छी तरह से पक चुका है। जिसके बाद उसे तोड़ा जाता है। काली मिर्च के फल गुच्छों में होते हैं, जिन्हें बाद में तोड़कर अलग कर लिया जाता है। इसके बाद मिर्च को 1 मिनट के लिए गर्म पानी में डालकर रखा जाता है, फिर इसे सूखने के लिए धूप में डाला जाता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सफेद व काली मिर्च दोनों एक ही पौधे पर उगती हैं। दरअसल मिर्च को तोड़ने के बाद इसे सफेद रंग देने के लिए इसके फल को पानी में डालकर उपरी छिलका उतार लिया जाता है। इसके बाद मिर्च को धूप में 3-4 दिन सूखने के लिए डाला जाता है, इससे इनका रंग सफेद दिखने लगता है।
काली मिर्च के हर पौधे से साल में 4 से 6 किलो तक का उत्पादन लिया जा सकता है। एक हेक्टेयर खेत में आप काली मिर्च के लगभग 1100 पौधे लगा सकते हैं। इस आधार पर काली मिर्च की एक हेक्टेयर खेती से किसान साथी 40 से 60 किवंटल तक की उपज ले सकते हैं।
काली मिर्च के सेवन के स्वास्थ्य लाभ
काली मिर्च कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें विटामिन A, विटामिन C और बीटा-कैरोटीन जैसे ज़रूरी तत्व पाए जाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो काली मिर्च के सेवन से कैंसर जैसे गंभीर रोगों से भी छुटकारा मिलता है। ये मिर्च गठिया, सूजन, पेट में गैस, कब्ज और अपच के लिए भी काफी फायदेमंद होती है और ये वजन कम करने में भी सहायक होती है।
FAQ
काली मिर्च की खेती वैसे तो कभी भी की जा सकती है, लेकिन इसकी खेती के ठंड का मौसम उपयुक्त नहीं माना जाता है। इसलिए अधिक ठंड पड़ने वाले क्षेत्रों में इसके पौधे का विकास प्रभावित हो सकता है।
काली मिर्च का पौधा बीज और कलम दोनों ही विधि से उगाया जा सकता है। हालांकि कलम विधि से पौधा जल्दी फल देने के लिए तैयार हो जाता है।
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