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खजूर खेती के प्रमुख उत्पादक देशों की बात करें, तो ईराक, सऊदी अरब, इरान, मिश्र, लिबिया, पाकिस्तान, मोरक्को, टयूनिशिया, सूडान, संयुक्त राज्य अमेरिका व स्पेन आदि हैं। राजस्थान के जैसलमेर, बारमेर, बीकानेर, व जोधपुर जैसे क्षेत्रों की जलवायु को खजूर की खेती के लिए अच्छी मानी जाती है। अगर आप खजूर की खेती करके अच्छा मुनाफा चाहते हैं, तो आपको खजूर की खेती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
चलिए ग्रामिक के इस ब्लॉग में खजूर की खेती के बारे में विस्तार से जानें-
खजूर की खेती के लिए जलवायु
खजूर की खेती के लिए फरवरी से मार्च का और अगस्त से सितंबर का समय उपयुक्त होता है। खजूर की खेती के लिए शुष्क व अर्द्ध शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। इसके पौधे अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक सहन कर सकते हैं।
पौधों को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त होता है। वहीं खजूर के पौधों पर फूल लगने और फलों के पकने के लिए उपयुक्त तापमान की बात करें तो 24 डिग्री सेल्सियस व 40 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा माना जाता है। वहीं सिंचाई की बात करें तो खजूर के पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है।
खजूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
खजूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें तो इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। खजूर की खेती के लिए भूमि के उपयुक्त पी.एच. मान की बात करें तो ये 8 से 9 के बीच होना चाहिए। आपको बता दें कि खजूर के पौधे मिट्टी में 3 से 4 प्रतिशत तक क्षारीयता सहन कर सकते है।
ऐसे करें खेत कि तैयारी
खजूर की खेती के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें, और उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें ताकि उसमें मौजूद फसल अवशेषों, खरपतवार व कीट नष्ट हो जाएं। इसके बाद अच्छी तरह से खेत की जुताई करके उसे भुरभुरा व समतल बना लें।
खजूर के पौधे लगाने से पहले की तैयारी
खजूर की खेती के लिए तैयार खेत में 6 मीटर या 8 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदने के बाद इसे दो सप्ताह तक खुला छोड़ दें। इसके बाद 20-25 किलो ग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, कृषि विशेषज्ञ द्वारा सुझाई गई मात्रा में सुपर फाॅस्फेट व क्यूनालफाॅस या फैनवलरेट चूर्ण का मिश्रण बनाकर तैयार गड्ढ़ों में डाल दें, फिर पानी भर दें।
खजूर के पौधे लगाने का तरीका
खजूर की खेती 3 तरह से की जा सकती है-
बीज द्वारा: बीज के ज़रिए खजूर के पौधे तैयार करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस तरह पौधे तैयार करने पर नर व मादा पौधा का अनुपात 50-50 प्रतिशत रहने का अनुमान रहता है, और पौधे देर से विकसित होते हैं।
सकर्स (अंतःभूस्तारी): इस तरह से तैयार किए गए पौधे बीज द्वारा तैयार पौधों की तुलना में 2-3 साल पहले फल देने के लिए तैयार हो जाते है।
टिश्यू कल्चर द्वाराः टिश्यू कल्चर द्वारा तैयार पौधों की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है, और ये फल देने के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं।
खजूर के पौधों की सिंचाई
खजूर के पौधों को ज़्यादा सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती है। हालांकि गर्मी में आप 15- 20 दिन के अंतराल पर सिचाई करें, और ठंड के समय में सिंचाई 35-40 दिनों के बीच करते रहें। इसी तरह पौधों पर फल-फूल आने पर भी सिंचाई करते रहें।
खजूर के पौधों से उपज मिलने का समय
खजूर के पौधों में फल आने में में 4 से 8 सालों का समय लग सकता हैं, शुरुवाती सालों में उपज कम होती है, लेकिन पौधों की उम्र बढ़ने के साथ साथ फलों की उपज भी बढ़ती है। हालांकि टिश्यू कल्चर से तीसरे साल में ही फल आने लगते हैं।
FAQ
खजूर की खेती के लिए सही समय फरवरी से मार्च और अगस्त से सितंबर का महीना होता है।
खजूर की खेती 3 तरह से की जा सकती है। बीज द्वारा, सकर्स द्वारा और टिश्यू कल्चर द्वारा।
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