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किसानों के लिए आय का दूसरा जरिया हो सकता है मधुमक्खी पालन ! लें सम्पूर्ण जानकारी!

मधुमक्खी पालन
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

मधुमक्खी किसानों के लिए एक लाभदायक कीट माना जाता है। जो किसान खेती के अलावा एक अतिरिक्त आय का जरिया चाहते हैं, उनके लिए मधुमक्खी पालन एक प्रमुख विकल्प हो सकता है। आज के समय   मधुमक्खी पालन देश में काफी बड़े स्तर पर कुटीर उद्योग के रूप में किया जाता है। 

मधुमक्खी पालकों और सरकार के लगातार प्रयासों की बदौलत पिछले 6 सालों में शहद उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है। आपको बता दें कि वर्ष 2021 में भारत सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत शहद मिशन के लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। 

मधुमक्खी पालन

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के तहत प्रधानमंत्री का लक्ष्य छोटे किसानों को सशक्त बनाना है। भारत की लगभग 55 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण आबादी वाली है और देश तभी आगे बढ़ेगा जब ग्रामीण आबादी आगे बढ़ेगी। 

केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजना, “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन” का उद्देश्य क्षेत्रीय स्तर पर 5 बड़ी और 100 छोटी शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पाद परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करना है, जिनमें से 3 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जबकि 25 छोटी प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। 

राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन का उद्देश्य

भारत सरकार ने शहद उत्पादन के मामले में भारत को अग्रणी बनाने और मधुमक्खी पालन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि  इस योजना को राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के माध्यम से लागू किया गया है। 

इस मिशन की शुरुआत 2017 में की गई थी।  इस योजना के माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है और इन्हें सरकार के द्वारा वित्तिय सहायता भी दी जा रही है। 

मधुमक्खी पालन

भारत से प्राकृतिक शहद का निर्यात

एक रिपोर्ट के अनुसार.देश में 1.25 लाख मीट्रिक टन से अधिक शहद का उत्पादन किया जा रहा है।  जिसमें से 60 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा प्राकृतिक शहद का निर्यात किया जाता है। वैश्विक बाजार में  बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकारें वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षित कर रही हैं। 

मधुमक्खी पालन के लाभ 

मधुमक्खी से प्राप्त शहद में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इससे होने वाले कुछ प्रमुख लाभों की बात करें तो किसानों की कमाई में इजाफा, फूलों के रस एवं पराग का उपयोग, शहद, रॉयल जैली, मोम आदि तैयार किये जाते हैं। नियमित रूप से शहद के सेवन से तपेदिक, अस्थमा, खून की कमी, ब्लड प्रेशर, कब्ज जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।

इसके अलावा मधुमक्खी पालन को बेहद कम पूँजी निवेश करके कम समय में ही शुरू किया जा सकता है, और शहद को बेचकर खेती के अलावा भी आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। सोने पर सुहागा ये है कि इस बिजनेस का पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता है, और बाज़ार में शहद की मांग भी खूब रहती है।  

मधुमक्खी पालन के समय ध्यान रखने वाली बातें 

यदि आप भी मधुमक्खी पालन करने के लिए सोच रहे हैं, तो सबसे पहले एक जगह का चुनाव करें, जहां लोगों का आना जाना कम हो।  मधुमक्खी एवं इन्सान के बीच सम्बन्ध समझने के लिए उद्यमी को ऐसे व्यक्तियों के साथ मिलकर काम करना होगा जो पहले से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। 

मधुमक्खी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटा लेने के बाद एवं व्यवहारिक तौर पर इसे अपनाने के बाद एकत्रित जानकारी से मधुमक्खी पालन पद्यति को विकसित करने की कोशिश की जा सकती है। जगह का चुनाव करने के बाद मधुमक्खी पालन में प्रयोग होने वाले उपकरणों की खरीद करें। 

मधुमक्खी पालन

इसकी शुरुआत छोटे स्तर से करें, फिर धीरे धीरे अपनी सुविधा को देखते हुए आप इसे बढ़ा सकते हैं। व्यवसाय की शुरुवात आप किसी अनुभवी व्यक्ति के मार्गदर्शन में करें। हालांकि बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, लेकिन व्यवसायिक तौर पर मधुमक्खी पालन शुरू करने से पहले किसी स्थानीय एजेंट से संपर्क करें, ताकि वो शहद को सही समय और उचित मूल्य पर खरीद सके।

FAQ

सबसे ज्यादा शहद निर्यात करने वाला देश कौन सा है?

न्यूजीलैंड शहद का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।

भारत में सबसे ज्यादा शहद उत्पादन किस राज्य में होता है?

उत्तर प्रदेश शहद का सबसे बड़ा उत्पादन राज्य है।

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