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अजोला एक पानी में तैरने वाला, तेजी से बढ़ने वाला पौधा है। यह छोटे, हरे रंग के समूहों के रूप में पानी की सतह पर तैरता है। अगर इसे सही परिस्थितियाँ मिलें, तो यह हर तीन दिनों में अपने वजन को दोगुना कर लेता है। अजोला की दुनिया भर में आठ प्रमुख प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें भारत में सबसे आम है अजोला पिनाटा। अजोला में लुसर्न और हाइब्रिड नेपियर जैसे पौधों की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक प्रोटीन होता है।
अजोला के फायदे
अजोला में प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी 12, बीटा कैरोटीन) और खनिजों जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, लौह, तांबा, मैग्नीशियम शामिल हैं, जो पशुधन के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। अजोला को “सुपर पौधा” कहा जा सकता है क्योंकि इसमें गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, मुर्गी और मछलियों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि अजोला खिलाने से डेयरी गायों का दूध उत्पादन 15-20% बढ़ जाता है और मुर्गियों के अंडे का उत्पादन भी बढ़ता है।
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अजोला की खेती कैसे करें?
अजोला की खेती के लिए एक उथले पानी का तालाब सबसे अच्छा होता है। हर दो हफ्ते में एक किलोग्राम गोबर और 100 ग्राम सुपर फॉस्फेट मिलाने से अजोला अच्छी तरह से बढ़ता है। तालाब में किसी भी कचरे या जलीय खरपतवार को नियमित रूप से हटाना चाहिए। तालाब को हर छह महीने में खाली करना होगा और ताजा अजोला और मिट्टी से फिर से भरना होगा।
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तालाब का चयन और निर्माण
तालाब को घर के पास बनाना अच्छा होता है ताकि देखभाल में आसानी हो। तालाब का पानी एक समान स्तर पर होना चाहिए। तालाब के लिए 6×4 फीट का आकार पर्याप्त है, जो प्रतिदिन लगभग एक किलोग्राम अजोला दे सकता है। तालाब के तल को नुकीले पत्थरों, जड़ों और काँटों से मुक्त रखना चाहिए ताकि प्लास्टिक शीट सुरक्षित रहे।
अजोला की कटाई
अजोला की कटाई तीन हफ्तों के बाद शुरू की जा सकती है। तालाब की सतह से इसे आसानी से निकाला जा सकता है। 6×4 फीट के तालाब से प्रतिदिन लगभग 800-900 ग्राम ताजा अजोला मिल सकता है। इसे ताजा या सूखे रूप में पशुओं को खिलाया जा सकता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि 800 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से गायों की दूध उत्पादन में 10 लीटर प्रति माह की वृद्धि हुई।
ध्यान रखने वाली बातें
अजोला उत्पादन के लिए एक छायादार और धूप वाली जगह चुनें। पानी का स्तर एक समान होना चाहिए और अजोला को प्रतिदिन उचित मात्रा में निकालना चाहिए ताकि उसकी वृद्धि सही रहे। नियमित पोषक तत्व की आपूर्ति और हर 30 दिनों में ताजी मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। अगर कीट या बीमारियाँ दिखाई दें, तो नया तालाब बनाना और शुद्ध अजोला का उपयोग करना बेहतर होता है।
FAQ
हरा चारा पशुओं के पोषण का मुख्य स्रोत होता है, जिसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह दूध उत्पादन बढ़ाने, पशुओं की स्वास्थ्य में सुधार और चारा लागत को कम करने में मदद करता है।
हरे चारे के लिए मक्का, बरसीम, जई, नेपियर घास, लुसर्न, सूडान घास और अजोला घास आदि उगाई जा सकती हैं।
हरे चारे की खेती के लिए वर्षभर उपयुक्त मौसम होता है, लेकिन कुछ फसलें जैसे कि मक्का और सूडान घास गर्मियों में अच्छी होती हैं, जबकि बरसीम और जई सर्दियों में अच्छी होती हैं।
हरे चारे की फसल के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जो अच्छे जल निकासी और उर्वरक क्षमता वाली होनी चाहिए। पीएच स्तर 6-7 के बीच होना आदर्श होता है।
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