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केले की खेती से चाहिए मुनाफ़ा, तो जान लें इन कीटों व से बचाव के उपाय!

केले की खेती
Written by Gramik

प्रिय पाठकों, ग्रामिक के इस ब्लॉग सेक्शन में आपका स्वागत है!

किसान साथियों, भारत में केले की बागवानी प्रमुख रूप से की जाती है,  लेकिन इसमें होने वाले कुछ रोग व कीट ऐसे हैं, जो केले की फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे आपको केले की खेती से मुनाफा होने के बजाय काफी घाटा हो सकता है। 

केले की खेती

तो चलिए, आज के इस ब्लॉग में हम आपको केले के प्रमुख रोगों के बारे में बताते हैं, जिनकी रोकथाम करके केले की अच्छी उपज ली जा सकती है। 

केले की खेती में लगने वाले हानिकारक कीट और रोकथाम

फल की भुंडी: 

यदि केले की फसल पर  फल की भुंडी का हमला दिखे तो तने के चारों तरफ मिट्टी में Furadan 3G 10-15 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डालें।

केले का चेपा: 

केले का चेपा रोग दिखने पर डाइमैथोएट 30 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौथों पर स्प्रे करें।

थ्रिप्स: 

इसकी रोकथाम के लिए मिथाइल डेमेटन 20 ई सी 2 मि.ली. या मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्लयु एस सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 

निमाटोड: 

केले के पौधों की जड़ों को निमाटोड के हमले से बचाने के लिए, कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी जी, 50 ग्राम से प्रति जड़ का उपचार करें। यदि जड़ का उपचार ना किया गया हो तो रोपाई के एक महीने बाद पौधे के चारों तरफ कार्बोफ्युरॉन 40 ग्राम प्रति पौधा के अनुपात में छिड़काव करें।

केले की खेती में बीमारियां और रोकथाम

सिगाटोका पत्तों पर धब्बा रोग: 

धब्बा रोग से प्रभावित केले के पत्तों को निकालें और जला दें। जल जमाव वाली स्थिति से निबटने के लिए खेत में से पानी के निकास का उचित प्रबंध करें।

केले की खेती सिगाटोका पत्तों पर धब्बा रोग

किसी एक फंगसनाशी जैसे कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम या मैनकोजेब 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम को प्रति लीटर पानी मे मिलाकर स्प्रे करें। घुलनशील पदार्थ जैसे सैंडोविट, टीपॉल 5 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

एंथ्राक्नोस: 

केले के पौधों में एंथ्राक्नोस रोग दिखे तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम मिश्रण 10 ग्राम या क्लोरोथालोनिल फंगसनाशी 2 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 1 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। 

पनामा बीमारी: 

यदि केले के पौधे पनामा बीमारी से ग्रसित हों, तो बगीचे से प्रभावित पौधों को उखाड़ दें, और उन्हें खेत से दूर ले जाकर नष्ट कर दें। इसके अलावा रोपाई से पहले जड़ों को कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में डुबोयें और रोपाई के 6 महीने बाद कार्बेनडाज़िम छिड़कें।

फुज़ेरियम सूखा: 

प्रभावित पौधों को निकाल दें और 1-2 किलो चूना प्रति पौधे में डालें। रोपाई के बाद कार्बेनडाज़िम 60 मि.ग्रा.  दूसरे, चौथे, 6वें महीने में प्रति वृक्ष में प्रति फल पर डालें। कार्बेनडाज़िम 2 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर धब्बों पर छिड़कें।

गुच्छे बनना: 

यह चेपे के हमले के कारण होता है। पौधे के प्रभावित भागों को निकालें और खेत से दूर ले जाकर नष्ट कर दें। यदि खेत में चेपे का हमला दिखे तो डाइमैथोएट 20 मि.ली. को 10 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

FAQs

  • केला कब बोया जाता है?

    केले की बिजाई के लिए मध्य फरवरी से मार्च के पहले सप्ताह का समय सही माना जाता है। 

  • केले के पेड़ में कितनी बार फल लगता है?

    एक हेक्टेयर में लगभग 2500 केले के पौधे लगाए जा सकते हैं, और एक पौधे पर 2 साल में 3 बार फल आते हैं।

  • केले की बागवानी के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?

    केले के पेड़ अच्छी जल निकास वाली मिट्टी में पनपते हैं।

  • केले को फल देने में कितना समय लगता है?

    केले के पौधे पर फल आने में लगभग 9 से 12 महीने लगते हैं। 

  • केले की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?

    केले की उन्नत किस्मों में से रोवेस्टा, बत्तीसा, जी-9 किस्म ,चिनिया चम्पा, बसराई, पूवन, न्याली, रास्थाली जैसी किस्मों को प्रमुख माना जाता है।

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